छुटकारा (कविता) प्रतियोगिता हेतु-15-Jun-2024
छुटकारा (कविता) प्रतियोगिता हेतु
सत्य मार्ग पर यदि चलें हम, सुंदर उपवन का साथ हमारा। सुख के सागर में खाएंँ गोते, काँट- कूश से मिले छुटकारा।
पाप, पतन, अनीति मार्ग से, हे प्रभु! तुम दे दो छुटकारा। भले सफ़लता मिले देर से, फिरूँ कभी ना मारा- मारा।
शीघ्रतिशीघ्र ना पूर्ण हो चाहत, अंतर्मन कभी होना आहत। लोभ, मोह में मैं ना जकड़ूँ, सदाचार ना ले छुटकारा।
महत्वाकांक्षाएंँ उमड़ें- घुमड़ें, दलदल में न जाए पांँव हमारा। धर्म के पथ पर सदा चलूँ मैं, अधर्म मार्ग से लूंँ छुटकारा।
सुपथ सदा ही समयसाध्य हो, कर्तव्य की पूर्ति हो बस नारा। जीवन राज मार्ग पर जाए, कुमार्ग से इसे मिले छुटकारा।
जीवन के उद्देश्य जो मेरे, सन्मार्ग पे चलके प्राप्त हो सारा। श्रेष्ठ,श्रेयस्कर मार्ग वरण कर, कलमष्ता से मिले छुटकारा।
साधना शाही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
Anjali korde
16-Jun-2024 11:53 PM
Great poem
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Sarita Shrivastava "Shri"
15-Jun-2024 10:59 PM
वाह! बेहतरीन सुन्दर विचार प्रस्तुति👌👌🌹🌹
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